सभी महिलाओं के लिए विशेष
सभी स्त्रियों के लिए विशेष
संसार में प्रतिभाशाली होने का सम्मान जितना पुरुषों को मिला है उतना महिलाओं को नहीं मिला है यह प्रमाणित है कि अधिकांश वैज्ञानिक इंजीनियर डॉक्टर धर्म गुरु धर्म विशेषज्ञ योद्धा परम ज्ञानी परम ध्यानी व परम तत्व को जानने वाले पुरुष ही है ज्ञात इतिहास में परम तत्व प्राप्त करने वाली एक ही स्त्री दिखाई देती है जिनका नाम मीरा है क्योंकि मेरी बुद्धि के अनुसार जितना साहस जितनी दृढ़ता जितना समर्पण जितनी श्रद्धा मीरा के पास है इतना संसार के सभी पुरुषों के पास भी नहीं है इसीलिए मीरा को विश भी नहीं मिटा पाता है पर गौतम बुद्ध को पूर्ण श्रद्धा से अनजाने में विषाक्त भोजन दिया जाता है जिससे उन्हें कष्ट होता है मेरा तो केवल कृष्ण का पान करती है उसे अमृत और विष में अंतर नजर नहीं आता
मेरा तो अमृत को भी कृष्ण मानती है और विष को भी कृष्ण मानती है
कई न पढ़ी-लिखी महिलाएं कहती है हमें पढ़ना लिखना नहीं आता हम धर्म शास्त्रों को कैसे पढ़ें और कैसे समझे
भगवान को समझने की हमारी क्षमता नहीं है योग्यता नहीं है प्रतिभा नहीं है
पर इन आंखों ने देखा है महिलाओं की क्षमता को उनकी योग्यता को उनकी प्रतिभा को उनके समर्पण को उनके संतुलन को
जब कोई महिला रोटी बनाती है तो आटे में संतुलित नमक वह पानी का मेल कर कर एक पिंड बनाती है फिर उस पिंड से एक छोटा आटे का टुकड़ा लेकर उसकी गोल गेरी बनाती है फिर उसे सूखे आटे में लपेट कर बेलन पाटले से एकदम गोल चौकोर रोटी बनाती है फिर उस रोटी को तवे पर रखकर इसी विधि से दूसरी रोटी बनाने लगती है जब तक यह रोटी तैयार होती है तब तक वह रोटी तवे पर सीक जाती है फिर आग से उसी सेकी हुई रोटी को हटाकर उस रोटी को प्रज्वलित अग्नि पर रख देती है पर उस रोटी को कितनी अग्नि देनी है किस प्रकार अग्नि देनी है एक महिला ही जानती है
बड़ा ही कठिन कार्य है पुरुषों के लिए परी स्त्रियों के लिए बहुत ही सरल है
आपने भी शादी पार्टियों में पुरुषों के हाथ से बनी रोटियां खाई होगी जो हमेशा या तो जल जाती है या फिर कच्ची रह जाती है कभी नमक ज्यादा हो जाता है या कभी नमक कम रह जाता है कभी ज्यादा मोटी हो जाती है
मेरा कहने का अर्थ यह नहीं है कि महिलाएं केवल रोटी बनाने के लिए ही है यह जो हजारों वर्षों से नारी को कमजोर समझने की परंपरा चली आ रही है शायद यह इसी मानसिकता का प्रभाव है जिसके कारण महिलाओं की प्रतिभा को कम आंका जाता है
मेरी दृष्टि में यह तो कारण हे ही दूसरा कारण यह है कि सदियों से महिलाओं पर पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा दबाव रहता है ज्यादा जिम्मेदारियां रहती है हम रोटी सब्जी बनाना कपड़े धोना बच्चों को संभालना घर की साफ सफाई इन कामों को बहुत ही मामूली समझते हैं और यह भी कहता हूं सच्चे मन से की कोई भी पुरुष यह कार्य करना नहीं चाहता है अब यह भी प्रश्न उठता है जो कार्य आप करना नहीं चाहते हैं उस कार्य को आप किसी महिला के सुपुत्र कैसे कर सकते हो या तो आपके लिए करना कठिन है या आपको ऐसे कार्यों को करने में लज्जा आती है पुरुषों की है जो सोच है कि यह घर के कार्य तो नारी ही करेगी बस इसी मानसिकता से समझ लेना मैं झूठ नहीं कह रहा हूं सभी पुरुष यहां पकड़ में आते हैं मैं सभी पुरुषों की बात नहीं कर रहा हूं क्योंकि ऐसे भी कई पुरुष है जो घर के कार्य करते हैं और ना ही मेरा स्त्री पुरुषों में इन बातों को लेकर झगड़ा उत्पन्न कराने की इच्छा है बस मेरा कहने का यही असल मकसद है कि हमारे घर की स्त्री या जो भी कार्य करती है वह हम से कम नहीं है उन कार्यों को करने के लिए भी प्रतिभा योग्यता आवश्यक है इसीलिए सभी स्त्रियां प्रतिभाशाली है
#chetanshrikrishna
Suryansh
08-Sep-2022 11:23 PM
लाजवाब लाजवाब
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
30-Aug-2022 12:25 PM
बहुत बहुत बहुत ही उम्दा और सशक्त लेख,,,,,, बहुत ही शानदार लिखा है महिलाओं के लिए साधुवाद आपका
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Kaushalya Rani
08-Jun-2022 05:46 PM
Nice
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